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Channel: मेरी शेखावाटी
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एक कचरा पात्र की आत्म कथा

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     मित्रो , ............. बुरा मत मानना क्यों की मैंने आपको मित्र कह दिया क्या आप एक सडे गले कूड़े के ढेर को सहने वाले को अपने मित्रो की लिस्ट में शामिल करना पसंद करेंगे ? लेकिन मै आपको अपनी राम कहानी तो जरूर सुनाऊंगा मित्र माने या ना माने ये आप की मर्जी है ।

लोग मुझे ठूँस ठूंस कर भर देते है


     मेरी शुरूआत बहुत पहले कई हजार साल पहले हुई थी तब हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का नाम भी नहीं था । लेकिन पुराने समय में मेरा आकार बहुत छोटा था जो आजकल मानव की लापरवाही और लालच की तरह बढ़ता ही जा रहा है ।

     मै पहले गाँवों में नजर नहीं आता था । केवल शहरों तक सीमित था लेकिन आजकल शहरो और गाँवों में समान रूप से पाया जाता हूँ । मै गली के नुक्कड़ पर आपको दिख जाता हूँ आप मुझमे कचरा डाल कर चल देते है । मै इस प्रकार की गंदगी को किस तरह झेलता हूँ ये मै ही जानता हूँ । मुझे इस बात का अफ़सोस नहीं है की लोग मुझ में गंदगी डालते है बल्कि दुःख इस बात का  की वो गंदगी को सही तरीके से नहीं डालते है । गीला कचरा भी मुझमे डालते है जिससे जंग लग कर मेरी उम्र कम हो जाती है । विदेशो में लोग बहुत समझदार है इसलिए वो कचरे को पहले मजबूत थैली में डालकर मुँह पूरी तरह से बाँध देते है तब मुझ में फेंकते है । लोहा ,काच ,धातु और कागज़ का कचरा अलग अलग डिब्बो में डालते है ।

मुझे दोष मत दीजिये मै तो भरा हुआ हूँ ये तो सरकारी कर्मचारी है जो समय पर मुझे खाली नहीं करते


     और भी बड़ी मुसीबत तो तब है जब लोग मेरे पूरे भरे होने के बावजूद, मुझ पर कचरा डालते रहते है और वो कचरा इधर उधर फ़ैल कर नन्हे नन्हे बच्चो को नाना प्रकार के रोग से ग्रसित कर देता है । पहले केवल मिट्टी ,गोबर ,और कागज़ जैसे खेती उपयोगी पदार्थ ही मुझमे डाले जाते थे लेकिन आजकल प्लास्टिक , कांच , दवाइयों के खाली इंजेक्शन , संक्रमित सूई और अन्य मेडिकल से जुड़े कचरे जो स्वास्थ्य और खेती के लिए हानिकारक है ,मुझमे डाले जाते है । मै कसाईयों से तो परेशान हूँ ही क्यों की ये पशु वध के बाद जो वेस्टेज निकलता है वो लाकर मुझमे डाल देते है । जिसको खाने के लालच में कुत्ते और सूअर मेरे अंदर घुसे रहते है ।

इस मैडम जैसे मालुम नहीं कितने लोग कूड़े को उलट पलट करके मुझे तंग करते है



     नगरपालिका के भ्रष्ट तंत्र में मेरा जीना मुहाल है मेरी खरीदी से लेकर मेरे कबाड़ को बेचने तक में लोग अपना कमीशन बनाते है । मुझे एक बार खाली करते है लेकिन बिल चार बार खाली करने का बनाकर के रूपये डकार जाते है । मेरे आगमन पर मोहल्ले वाले प्रसन्नता जताते है लेकिन कुछ ही दिन बाद घर आये चिपकू मेहमान की तरह मै भी लोगो की नाराजगी का शिकार हो जाता हूँ । अब आप ही बताइये मै इस अत्याचार को कब तक सहन करू हे कबाड़ चोर भाईमुझे भी इस जीवन से निजात दिलाओ। ....   आपका एक दुखियारा कचरा पात्र

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